रविवार, 9 अगस्त 2009

मुबारक है !

मुबारक है कातिल,
कि अपने ज़ज्बात को अदा करने की
कुदरत रखते है ।
मुबारक है चोर ,
कि अपना माल वापिस हासिल करने की
कोशिश करते है।
मुबारक है तवायफे
कि वे बीवियां नही है,
जिनके जिस्म हर रात
अपने शौहर से झूठ बोलते है।
मुबारक है बूचड़खाने ,
जिनमे यतीम पलते है।
आरजुमंद उस योमे -बहार के ,
जिस दिन वो जिबह किए जायेंगे।
मुबारक है अहमक ,
जो हर मुल्क में
खुदकुशी को वोट देते है।